भारतीय नागरिकता (citizenship)
भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान है भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार निम्न में से किसी एक आधार पर नागरिकता प्राप्त की जा सकती है जन्म से वंश परंपरा द्वारा नागरिकता देशीयकरण द्वारा नागरिकता पंजीकरण द्वारा नागरिकता भूमि विस्तार द्वारा जन्म से- प्रत्येक व्यक्ति जिसका जन्म संविधान लागू होने तथा 26 जनवरी 1950 ईस्वी को या उसके पश्चात भारत में हुआ हो वह जन्म से भारत का नागरिक होगा. वंश परंपरा द्वारा नागरिकता भारत के बाहर अन्य देश में 26 जनवरी 1950 ईस्वी के पश्चात जन्म लेने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा यदि उसके जन्म के समय उसके माता-पिता में से कोई भारत का नागरिक हो. नोट : माता की नागरिकता के आधार पर प्रदेश में जन्म लेने वाले को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान नागरिकता संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा किया गया. देशीयकरण द्वारा नागरिकता भारत सरकार से देशीयकरण का प्रमाण पत्र प्राप्त कर भारत की नागरिकता प्राप्त की जा सकती है. पंजीकरण द्वारा नागरिकता निम्नलिखित वर्गों में आने वाले लोग पंजीकरण के द्वारा नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं - वह व्यक्ति जो पंजीकरण प्रार्थना पत्र देने की तिथि 6 माह पूर्व भारत मे निवास कर रहा हो. वह भारतीय जो अविभाज्य भारत से बाहर किसी देश में निवास कर रहे हो. वह स्त्रियां जो भारतीयों से विवाह कर चुकी है या भविष्य में विवाह करेंगे. भारतीय नागरिकों के नाबालिक बच्चे. राष्ट्रमंडल देशों के नागरिक जो भारत में रहते हो या भारत सरकार की नौकरी कर रहे हो आवेदन पत्र देकर भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकते . भूमि विस्तार द्वारा यदि किसी ने विभाग को भारत में शामिल किया जाता है तो उस क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को स्वतः भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती है. भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम 1986 इस अधिनियम के आधार पर भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम 1955 ई. में निम्न संशोधन किए गए हैं- भारत में जन्मे केवल उस व्यक्ति को ही नागरिकता प्रदान की जाएगी जिसके माता-पिता में से एक भारत का नागरिक हो. जो व्यक्ति पंजीकरण के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें अब भारत में कम से कम 5 वर्षों तक निवास करना होगा पहले यह अवधि 6 माह थी. देशीयकरण द्वारा नागरिकता तभी प्रदान की जाएगी जबकि संबंधित व्यक्ति कम से कम 10 वर्षों तक भारत में रह चुका हो पहले यह अवधि 5 वर्ष थी. नागरिकता संशोधन अधिनियम 1986 ईस्वी जम्मू कश्मीर व असम सहित भारत के सभी राज्य पर लागू होगा. भारतीय नागरिकता का अंत भारतीय नागरिकता का अंत निम्न प्रकार से हो सकता है- नागरिकता का परित्याग करने से. किसी अन्य देश की नागरिकता स्वीकार कर लेने पर. सरकार द्वारा नागरिकता छीनने पर . जम्मू कश्मीर राज्य के विधानमंडल को निम्न विषयों के संबंध में राज्य में स्थाई रूप से निवास करने वाले व्यक्तियों को अधिकार तथा विशेषाधिकार प्रदान करने की शक्ति प्रदान की गई है- राज्य के अधीन नियोजन के संबंध में राज्य में अचल संपत्ति के अर्जुन के संबंध में राज्य में स्थाई रूप से बस जाने के संबंध में छात्र वृत्तियां अथवा किसी प्रकार की सहायता जो राज्य सरकार प्रदान करें. |
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